सूबे की
राजधान, लखनऊ, नबाबों का शहर कहलाता है और
यहाँ की मेहमाननवाजी तो दुनिया भर में मशहूर है ही , इस बात को सही साबित करने वाले कोई और नही
बल्कि हमारी ही सरकार के कुछ लोग हैं , जी हाँ कुछ ऐसे मंत्री भी है जिन्होंने
जनता के हित के लिए चाहे कुछ ना किया हो , लेकिन उनकी मेहमाननाबाज़ी में कोई कसर नही
छोडी | यह बात खुद उत्तर प्रदेश के मुख्मंत्री , अखिलेश यादव ने विधानसभा सत्र में
तब कही जब भाजपा के सुरेश खन्ना ने उनसे मंत्रियों और विधायकों के पॉकेट खर्च के
बारे में ब्यौरा माँगा , तब सीएम ने विस्तार से इसका जबाब दिया |
बताते चले की अखिलेश सरकार के मंत्रियों ने चार वर्ष में करीब 9 करोड़
रूपए सिर्फ चाय-पानी और मेहमाननवाजी में उड़ा दिए , विधानसभा के मानसून सत्र में
सीएम ने बताया की अभीतक सरकार के मंत्रियों ने कुल 8 करोड़ 78 लाख 12 हज़ार 474 रूपए
खर्च किये हैं| खर्च करने वालों में से सबसे आगे रही राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार)
अरुण कुमारी कोरी , कोरी ने 22 लाख 93 हजार 800 रूपये खर्च
किए जबकि बेसिक शिक्षा राजयमंत्री कैलाश चौरसिया 22 लाख 85
हजार 900 रूपये के साथ दूसरे नंबर रहे| खर्चे
के मामले में संसदीय कार्य व शहरी विकास मंत्री तथा पार्टी के फायरब्रांड नेता आजम
खां भी पीछे नही रहे , हालाँकि इन्होने तो
कम ही लोगों को जलपान कराया , लेकिन फिर भी 22 लाख 86
हजार 620 रूपया खर्च कर दिये | और बहुत से और
भी मंत्री इसी क्रम में जोड़े गए है |
भाजपा प्रवक्ता ने इस खर्च को सरकारी खजाने की लूट बताया है।
उनका मानना है सरकार प्रदेश में मूलभूत सुविधा जैसे शिक्षा व स्वास्थ्य के लिए धन
की कमी का रोना रोती है, जबकि मंत्री करोडों चाय समोसे पर
उडा देते हैं। सपा प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने विपक्षी दलों पर इस मामले को लेकर
बेवजह तूल देने का आरोप लगाते हुए कहा, यह खर्चा सरकारी
बैठकों और मंत्रियों से मिलने आने वाले लोगों पर शिष्टाचार में करना पड़ता है और
जरूरी है।
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